aaj tithi kya hai Options



Hindus Keep to the Lunar as well as the Photo voltaic calendars for several uses. Therefore, it is prompt that folks increase early, have a bath, and following worshipping the deities, browse the Panchang. They are able to select the best time for starting any essential enterprise and initiating something new.

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पंचांग के माध्यम से समय एवं काल की सटीक गणना की जाती है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। - फोटो : अमर उजाला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछकर फेमस हो गए दमोह के 'राम'

- इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। बात करे इस नक्षत्र के देवता की तो वे भगवान ब्रह्मा हैं।

पंचांग में नक्षत्र का विशेष स्थान है। वैदिक ज्योतिष में किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व नक्षत्रों को देखा जाता है। इसके अतिरिक्त नक्षत्र व्यक्ति के जीवन पर भी अपना प्रभाव डालता है। जिससे जातक के गुण व अवगुण निर्धारित होते हैं। आगे हम नक्षत्र की गणना कैसे की जाती है, नक्षत्र की पौराणिक मान्यता क्या है, नक्षत्रों का वर्गीकरण कैसे किया गया है, नक्षत्र कितने प्रकार के हैं और पंचांग में इसका क्या महात्व है, इसके बारे में जानेंगे।

और अमावस्या तिथि माह में एक-एक बार आती हैं वहीं अन्य सभी तिथियाँ दो-दो बार आती हैं।

जब बात पंचांग की होती है तो तिथि उसका सबसे महत्वपूर्ण अंग माना गया है। सरल शब्दों

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वैदिक ज्योतिषी अक्सर हिंदू कैलेंडर, वैदिक ज्योतिष पंचांग के आधार पर मुहूर्त की गणना करते हैं। वे हमेशा ग्रहों की गति और स्थिति, विशेष दिन के सूर्योदय और सूर्यास्त की गणना करते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि मुहूर्त निकालने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण का आकलन किया जाता है और इन्हीं के आधार पर शुभ समय निश्चित किया जाता है। अधिकतर, लोग विभिन्न पर्व और अनुष्ठान करने के लिए शुभ मुहूर्त की गणना करवाते हैं। शुभ मुहूर्त की गणना कोई नई परंपरा नहीं है। पहले राजा-महराजा ब्रह्मणों और ज्योतिषियों से संधियों पर हस्ताक्षर करने से पहले या नए क्षेत्र पर शासन शुरू करने से पहले शुभ समय की गणना करवाते थे। इतना ही नहीं, राजा अपने विवाह मुहूर्त की गणना करवाते थे। भगवद गीता इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि समय कितना महत्वपूर्ण और शक्तिशाली है। पौराणिक कहानी इस here बात का समर्थन करती है कि व्यक्ति को हमेशा अनुकूल समय के अनुसार अच्छे समारोह और नई गतिविधियां क्यों शुरू करनी चाहिए।

राहुकाल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है. 

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